श्री बजरंग बाण का पाठ(Bajrang baan lyrics in Hindi)-
Bajrang baan (श्री बजरंग बाण ) जपने के फायदे –
दोस्तो बजरंग वली के बारे में आप सब ही जानते होंगे कि यह कौन है, और इनके पास कौन कौन सी शक्ति है, तो आपको बता दे कि बजरंग बली यानी कि हनुमान जी राम जी के बहुत बड़े भक्त है, और यह शिव जी के अवतार भी है,
और हनुमान जी ही एक ऐसे है जो कि अमर है, यानी कि अगर हम उन्हें दिल से बुलाते है तो वह हमारी मदद के लिए आते है, और अगर आपके सामने कोई बुरी वला भी आ जाती है तो आपको बस हनुमान जी का नाम जपना चाहिए, जिससे वह बुरी शक्ति आपके पास से दूर हो जाएगी। अब हम इस पोस्ट में आपको हनुमान जी के बजरंग बाण के बारे में सभी जानकारी देंगे, और यह भी बताएंगे कि बजरंग बाण पढ़ने के क्या क्या लाभ आपको मिलेंगे।
क्या लाभ है श्री बजरंग बाण को पढ़ने और जपने का –
- दोस्तो अगर आपके ऊपर या आपके किसी अपने के ऊपर भूत व प्रेत या किसी काली ताकत का साया है तो आप बजरंग बाण का पाठ कर सकते है,
- अगर वही कहि आपके किसी अपने पर काला साया है और वह बजरंग बाण का पाठ नहीं कर पा रहा है तो आप उसके लिए बजरंग बाण का पाठ कर सकते है।
- दोस्तो बजरंग बाण का पाठ करने से आपको हनुमान की जी कृपा और आशीष मिलता है जिससे आपके सब काम बन जाते है।
- बजरंग बाण के पाठ करने से व्यक्ति को डिप्रेशन से निजात मिल जाती है।
- अगर आपके ऊपर शनि देव की साढ़े साती या फिर ढैया है तो आपको रोज बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए जिससे आपके काम कभी भी रुकेंगे नहीं।
- बजरंग बाण के पाठ करने से व्यक्ति का मन शांत रहता है और वह ज्यादा धैर्यवान बन जाता है।
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Bajrang baan (बजरंग बाण) Lyrics –
|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
||चौपाई||
जय हनुमंत संत हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥१॥
जन के काज बिलंब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥२॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥३॥
आगे जाय लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुरलोका॥4॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परमपद लीन्हा॥५॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा।
अति आतुर जमकातर तोरा॥६॥
अक्षय कुमार मारि संहारा।
लूम लपेटि लंक को जारा॥८॥
लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥८॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अंतरयामी॥९॥
जय जय लखन प्रान के दाता।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥१०॥
जै हनुमान जयति बल-सागर।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥११॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले॥१२॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥१३॥
जय अंजनि कुमार बलवंता।
शंकरसुवन बीर हनुमंता॥१४॥
बदन कराल काल-कुल-घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥१५॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर।
अगिन बेताल काल मारी मर॥१६॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की।
राखु नाथ मरजाद नाम की॥१७॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै।
राम दूत धरु मारु धाइ कै॥१८॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा।
दुख पावत जन केहि अपराधा॥१९॥
पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥२०॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥२१॥
जनकसुता हरि दास कहावौ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥२२॥
जै जै जै धुनि होत अकासा।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥२३॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥२४॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥२५॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥२६॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥२७॥
अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ॥२८॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥२९॥
पाठ करै बजरंग-बाण की।
हनुमत रक्षा करै प्रान की॥३०॥
यह बजरंग बाण जो जापैं।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥३१॥
धूप देय जो जपै हमेसा।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥३२॥
|| दोहा ||
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥
निष्कर्ष –
तो दोस्तों आपको हमारा आज का आर्टिकल कैसा लगा और आपको बजरंग बाण के बारे में जो जानकारी हमने दी है वह आपको कैसी लगी, इसके अलावा अगर आपके ऊपर कोई भी दिक्कत या परेशानी है तो आप भी बजरंग बाण का पाठ कर सकते है।
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