Ashok स्तम्भ का पुरातन इतिहास और उसकी पूरी जानकारी in hindi –
Dosto अशोक स्तम्भ को आज कौन नही जानता है , हमारे जितने भी राजकीय काम होते है उन सब मे आप अशोक स्तम्भ को जरूर ही देखते होंगे, आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि अशोक स्तंभ हमारे जीवन मे कितना कुछ महत्व रखता है, और आपको बता दे कि हमारे भारत मे अशोक स्तम्भ का उपयोग बस रक्षा विभाग सर जुड़े लोग, सरकार के मंत्री लोग, और IPS ऑफीसर, ias ऑफीसर की कार व टेबल पर रखा जाता है, यानी कि जो लोग प्रशासन से जुड़े हुए होते है उन्हें ही अशोक स्तम्भ का आधिकारिक उपयोग करने की इजाजत होती है।
लेकिन इसके अलावा कभी आपने सोचा है कि अशोक स्तम्भ क्या है और क्या है इसका बैकग्राउंड इतिहास, यह सवाल हम सभी के मन मे बचपन में आता था कि ये हमारे स्कूल के प्रिंसिपल के ऑफिस में 4 मुँह वाला शेर टाइप क्या रखा रहता है।
यह सवाल मेरे मन मे भी आता था लेकिन तब उस समय हम भी छोटे थे लेकिन मन मे उठने वाले सवाल जब तक शांत नही होते तब तक कि उनका जवाब न मिल जाये।
तो आज के इस पोस्ट में हम आपको अशोक स्तम्भ के बारे में पूरी जानकारी देंगे तो दोस्तो इस पोस्ट के last तक आप हमारे साथ बने रहिये।
क्या मतलब है अशोक स्तंभ का ?
दोस्तो जैसे कि इसके नाम मे ही जुड़ा हुआ है अशोक जिसको अगर दो हिस्सों में बांट दो अ और शोक दो शब्द बनते है, जिसका मतलब है कि बिना किसी दुःख के,
लेकिन ऐसा यहाँ आपका यह सोचना गलत है, अशोक स्तम्भ का असली मतलब यह है कि अशोक का खम्भा यानी कि पिलर जिन्हें आज से 1000 साल पहले पाली भाषा मे स्तम्भ बोला जाता था।
आज के समय मे पाली भाषा समाप्त हो चुकी है क्योंकि धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग होना ही बन्द हो गया और सभी लोग हिंदी बोलने लगें।
तो दोस्तो अभी तक हमने आपको बताया कि अशोक स्तम्भ का असली मतलब क्या होता है इसके बाद हम आपको अशोक स्तम्भ से जुड़ी हुई पूरी जानकारी देंगे।
क्या है Ashok स्तम्भ का गौरवशाली इतिहास ?
दोस्तो अशोक स्तम्भ का एक बहुत ही विशाल गौरवशाली इतिहास रहा है, ऐसा हम इसीलिए कह रहे है कि जहाँ अशोक स्तम्भ सुरक्षा का प्रतीक है और वही पर अशोक स्तम्भ शान्ती का प्रतीक भी है, और यह शांति का प्रतीक क्यों है वह भी हम आपको इसी पोस्ट में बतायेगे।
अशोक स्तम्भ की बात करे तो इसे मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते अशोक ने स्थापित किया था, और इसके स्थापित करने की एक ही वजह थी कि उसने कलिंग के युद्ध मे जो कोहराम मचाया था जिससे बहुत मासूम और बेकसूर बच्चे औरते मारी गयी थी और पूरी कलिंग नगरी तबाह हो गयी थी, यह एक ऐसा भयंकर युद्ध था कि महाभारत भी क्या है इसके सामने, कलिंग युद्घ के बारे में भी हम आपको बताएंगे, उससे पहले आप यह जानिए की जब कलिंग युद्ध को देखकर अशोक का दिल पिघल गया तो उसने बुद्ध धर्म अपना लिया था जिसके लिए उसने पूरे भारत मे शांति स्थापित करने के लिए जगह जगह पर कुल 12 अशोक स्तम्भ बनवाये थे जो कि शांति का प्रतीक थे लेकिन समय के साथ कठमुल्लों ने जो कि भारत के बाहर से आई हुई एक खानाबदोश प्रजाति थी, उन्होंने हिन्दू व बौद्ध धर्म के प्रतीकों को मिटाना शुरू कर दिया और मुस्लिम आक्रमणकारी लोगो ने सभी अशोक स्तम्भ को गिरा दिया था।
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कैसे हुई पुनर्स्थापना दोबारा से भारत मे अशोक स्तम्भो (Ashok stambh) की –
दोस्तो जब मुस्लिम आक्रमणकारी लोगो न अशोक स्तम्भ को तबाह कर दिया था तब उनके कुछ टूटे फूटे अवशेष बचे थे, जिन्हें भारत मे पूछा भी नहीं जाता था, लेकिन समय की धारा से अपना रुख बदल लिया और भारत मे ब्रिटिश राज्य आया यानी कि अंग्रेजों का राज, और उन्होंने धीरे धीरे पूरे भारत मे अपना कब्जा जमा लिया, लेकिन अंग्रेज स्थापत्य कला के बहुत ही प्रेमी थे और उन्होंने मुस्लिम लोगो के द्वारा तोड़ी गयी सभी पुरानी इमारतों को दोबारा से जीवन दान दिया, उस समय भारत मे बस 4 जगहों पर ही सम्राट अशोक के स्तम्भ बचे थे इसीलिए अंग्रजो ने इन्हीं चार जगहों पर दोबारा से उन्ही अशोक स्तम्भो की मरम्मत करा दी, जिससे अशोक स्तम्भ दोबारा से स्थापित हो पाए।
क्या है इतिहास कलिंग युद्घ का और क्यों बदल डाला इसने अशोक को ?
दोस्तो हमारे देश मे 2 ही ऐसे भयंकर नरसंहार वाले युद्ध हुए है जिनमे से एक है महाभारत का युद्ध, और दूसरा है कलिंग का युद्ध, अब ये युद्ध क्यों हुआ था वह भी आपको हम बतायेगे
दोस्तो उस समय कलिंग बहुत ही समृद्ध शाली राज्य हुआ करता था जो कि अजेय था, यानी कि कलिंग को आज तक किसी ने भी नही जीता था, इसकी एक वजह थी कि वहाँ के लोग सम्मलित होकर युद्ध करते थे, लेकिन उसी समय सम्राट अशोक अपना राज्य विस्तार कर रहे थे तो उन्होंने कलिंग को संदेश भेजा कि वह हमारे राज्य में मिल जाये, लेकिन वहाँ के राजा को यह बात बहुत ही बुरी लग गयी, जिससे उन्होंने अशोक का अपमान कर दिया, और इसके बाद अशोक ने कलिंग के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया, और 15 दिन के इस भीषण युद्ध मे अशोक की सेना ने कलिंग का बहुत नुकसान किया और बहुत नरसंहार किया, और 15 दिन में उस हँसते खेलते राज्य को एक बहुत ही बड़ा शमशान घाट बना दिया, एक ऐसा शमशान घाट जहाँ पर रोने के लिए कोई नही था, था तो बस सब जगह रक्त ही रक्त जिसमे बच्चे जिनका कोई कसूर नही था उनकी भी लाशें पड़ी हुई थी।
जब यह सब सम्राट अशोक ने देखा तो उन्हें अंदर से बहुत बुरा लग गया और उन्होंने इसके प्रायश्चित के लिए कभी भी युद्ध न करने की कसम खा ली और बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया, इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया और 3 साल में ही बहुत सारे अशोक स्तम्भ और स्तूप बना डाले।
कैसे बना अशोक स्तम्भ (Ashok stambh) और क्या लिखा गया इसके ऊपर –
दोस्तो अब हम आपको बताएंगे की अशोक स्तम्भ कैसे bana था, दोस्तो मुख्य अशोक स्तम्भ जो कि सारनाथ में है, जिसका चिन्ह का उपयोग भारत मे किया जाता है, और उसके चक्र का उपयोग हमारे देश के तिरंगे झंडे में किया जाता है।
दोस्तो सारनाथ के अशोक के स्तम्भ को बलुआ पत्थर से बनाया गया था, जब इसे बनाया गया था तब जमीन के अंदर इसे बहुत गहरा रखा गया था और इसकी बनावट चौकोर रखी गयी थी जिससे भूकम्प आने पर भी यह स्तम्भ न गिरे, और जैसे जैसे यह ऊपर आता गया इसकी मोटाई भी कम होती गयी और इसे चोकोर से गोल आकार दे दिया गया और इसकी लंबाई जैसे जैसे ऊपर जाती गयी वैसे ही इसे पतला कर दिया गया और सबसे ऊपर इसमे 4 मुख वाला शेर बनाया गया जो कि चारो दिशाओ का रखवाला समझा जाता था।
इसी वाले अशोक स्तम्भ को हमारे देश के आजाद होने के बाद राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता दे दी गयी।
कितने अशोक स्तम्भ है हमारे देश भारत के अंदर और वह कहाँ–कहाँ पर स्तिथ है ?
दोस्तो इस समय हमारे देश मे मौर्य सम्राट अशोक के द्वारा बनवाये गए अशोक स्तम्भो में से बस 4 अशोक स्तम्भ ही बचे है, जो कि भारत के 4 अलग अलग जगहों पर बने हुए है जो कि निम्नलिखित है –
1. सारनाथ अशोक स्तम्भ –
दोस्तो सारनाथ के अशोक स्तम्भ को हम सांची का अशोक स्तम्भ भी कहते है, क्योंकि सारनाथ सांची में ही स्तिथ है, यह अशोक स्तम्भ बहुत ही अलग किस्म का अशोक स्तम्भ है, क्योंकि इसी अशोक स्तंभ को उस समय मे सम्राट अशोक ने अपने मौर्य साम्राज्य का राजकीय चिन्ह बना लिया था, जिसे आजादी के बाद भारत ने भी अपना राजकीय चिन्ह बना लिया था।
यह अशोक स्तम्भ इसीलिए अलग था क्योंकि इसमें चारो तरफ सिंह यानी कि शेर बने हुए थे और उनके नीचे एक चक्र था जिसके दोनों और बैल बने हुए थे जो कि जिसमे सिंह सुरक्षा का प्रतीक, बैल हरियाली और अन्न का प्रतीक और चक्र बुद्ध भगवान यानी कि समय का प्रतीक माना जाता है।
2. अशोक स्तम्भ दिल्ली (नई दिल्ली) –
दोस्तो यह अशोक स्तम्भ बहुत ही सुंदर अशोक स्तम्भ था जो कि सम्राट अशोक ने मेरठ में बनवाया था लेकिन एक मुगल राजा फिरोजशाह तुगलक को यह बहुत अच्छा लग गया था जिसकी वजह से उसने इस अशोक स्तम्भ को बहुत ही सावधानी के साथ जमीन से उखाड़वाकर अपने साथ दिल्ली ले गया और वहाँ पर अपने लालकिले के सामने इसे स्थापित करवा दिया गया, तबसे यह अशोक स्तम्भ दिल्ली में ही है।
3. अशोक स्तम्भ (Ashok stambh) वैशाली (बिहार) –
दोस्तो यह अशोक स्तम्भ वैशाली यानी कि बिहार राज्य में स्तिथ है, इस वाले अशोक स्तम्भ को सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध की याद में बनवाया था, और इसे एक तालाब के पास स्थापित किया था जिसमें उत्तर दिशा की तरफ मुँह किये हुए आधा शेर बैठा हुआ है, यह शेर भगवान बुद्ध की उत्तर दिशा में की हुई अंतिम यात्रा के बारे में बताता है, इस अशोक स्तम्भ के पास जो तालाब बना हुआ है उसे राम कुंड का नाम दिया गया, यहाँ पर हिन्दू और बौद्ध धर्म के दोनों ही लोग आते है और इस तालाब में नहाते है।
4. अशोक स्तम्भ (Ashok stambh) प्रयागराज –
दोस्तो अशोक का यह स्तम्भ अलाहाबाद में बना हुआ है, इस स्तम्भ को 2 बार तोड़ा गया था इसे जिसमे पहली बार मुगल सम्राट अकबर में बनवा दिया था लेकिन इसे फिर से दूसरी बार तोड़ दिया गया था तब इसे अंग्रेजी राज्य ने दोबारा बनवा दिया तबसे यह अशोक स्तम्भ अभी तक बना हुआ है।
इस अशोक स्तम्भ में ब्राह्मी लिपि में अशोक ने अपने शांति के उपदेश लिखवाए है।
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अशोक स्तम्भ (Ashok stambh) का हमारे लिए क्या महत्व है ?
दोस्तो अशोक स्तम्भ का हमारे लिए बहुत ही महत्व है क्योंकि अशोक के इन स्तम्भो का हमारे लिए बहुत ही महत्व है, क्योंकि यही अशोक स्तंभ हमारे भारत देश के गौरवशाली इतिहास को बताते है, कि उस समय मे जब कोई बड़ा इंजीनियर नही था, न कोई मशीने थी, लेकिन फिर भी उस समय की तकनीकी इतनी उन्नत थी कि बहुत लंबे लंबे स्तम्भ और इतनी अच्छी ज्यामिति से बनाये गए जिनको आज के समय मे बनाने में लोगो को बहुत अधिक समय लग जायेगा, और अगर आज के समय मे इन स्तम्भ को बनाया जाए तो पहले जैसी मजबूती भी नही दे सकते है,
यही अशोक स्तम्भ पूरी दुनिया मे बहुत ही मशहूर है और यह अशोक स्तम्भ हमारे पुराने भारत की उस उन्नत तकनीकी को भी बताते है जिसे हम आज के समय मे भूल चुके है, यह स्तम्भ उस बात के गवाह है कि जब सारी दुनिया विज्ञान से दूर थी तब हमारे देश का ज्ञान विज्ञान अपनी चरम सीमा पर था।
तो दोस्तो आज आपको अशोक स्तंभ और उसके गौरवशाली इतिहास के बारे में हमने जो जानकारी दी है वह आपको कैसी लगी, इसके अलावा हमने इस पोस्ट में आपके साथ जो भी जानकारी शेयर की है वह हमने upsc की बुक कला व संस्कृति से की है जिसमे अशोक और उसके पूरे जीवन के बारे में लिखा है और उसके बनवाये हुए अशोक स्तंभों के बारे में भी लिखा है, अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी यह रोचक जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है इसके अलावा अगर आप यह चाहते है कि ऐसी ही रोचक और इतिहास से जुड़ी जानकारी आपको मिलती रहे तो आप हमारी इस साइट से जुड़े रहिये।
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