अफीम खाकर उतर रहे थे हुमायूं कान में पड़ी ‘अल्लाह हु अकबर’ की आवाज तो सीढ़ियों से गिरकर मर गए
दोस्तों मुगलो के इतिहास कौन नहीं वाकिफ सभी जानते है. की मुगलो का इतिहास न हक़ खून करना नशे में दुबे रहना यही था बस. इनका नाम महान मुगल शासक नहीं. नशेड़ी मुगल होना चाइये था. दोस्तों आज इस पोस्ट में हम बात करने वाले है. हुमायूं मुग़ल की जो हर वक़्त नशे में डूबा रहता था.इतना ही नहीं,वो दिन में तीन बार अफीम का नशा ज़रूर करता था. और अफीम में ही दुबे हुए उसकी मौत भी हुई. तो दोस्तों इन नशेड़ी मुगलो के बारे में जानने के लिए पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढियेगा।
नशेड़ी हुमायूं ने कैसे राज किया
मुग़ल बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूं के राज्य काल में मुगलो की नींव हिल गयी थी. इतना ही नहीं हुमायूं को बिहार में शेर-खां और फिर गुजरात में बहादुर शाह से आमना सामना युद्ध करना पड़ा था. हुमायूं की 4 विवाह 14 साल की हमीदा बानो से हुआ था, फिर हमीदा बानो ने विवाह के 14 महीने बाद बादशाह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर को जन्म दिया. बाबर के बड़े बेटे हुमायूं का नाम नसीरुद्दीन हुमायूं था. उसका जन्म 1508 ई. में हुआ था.और वो 23 साल की उम्र में ही मुगलो का राजा बन गया थे.बाबर के चार बेटे थे लेकिन बाबर ने चारो बेटों में से सिर्फ हुमायूं को ही अपना उत्तराधिकारी बनाया था.आपको बता दे की हुमायूं को भारत की गद्दी पर बैठाने के लिए बाबर इतने उतावले थें कि उन्होंने हुमायूं को 12 साल की उम्र में ही बदक्शाँ का गवर्नर घोषित कर दिया था. हुमायूं बहुत ही धार्मिक प्रवृति का था.जब हुमायूं का शासनकाल था. तब मुगल साम्राज्य उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक फैला हुआ था.आपको बता दे की हुमायूं की मृत्यु अपनी गद्दी पर राज करते हुए 48 साल की उम्र में ही हो गयी थी।
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मौत से पहले खाया था अफीम
हुमायूं को एक तो किताब से और दूसरे अफीम से निराला लगाव था. वो अक्सर अपने सेना में एक लाइब्रेरियन को भी लेकर चलता था. आपको बता दे की वो एक दिन में 3 बार अफीम खाया करता था. और इतना ही नहीं अपनी मौत से ठीक पहले भी उसने अफीम खाया था. 24 जनवरी सं 1556 में हुमायूं ने गुलाब जल से अफीम खाई और दिन की शुरुआत की. उन्होंने एक लम्बा पोस्तीन पहना हुआ था. और उस दिन उनसे मिलने कुछ हाजी आए थे. उसके बाद उन्होंने हाजियों को लाइब्रेरी की छत पर ही बुला लिया था. लाइब्रेरी के पास में ही एक मस्जिद भी बनवाई थी, जहां लोग जुमे की नमाज पढ़ने के लिए आए हुए थे. हाजियों से मिलने के पश्चात हुमायूं ने ज्योतिष विज्ञानं के एक पंडित को बुलाया. और उनसे ग्रहों की चाल जानना चाही थे. वो जानना चाहते थे. कि आकाश में शुक्र ग्रह कब दिखाई देगा.उसके थोड़ी देर बाद ही तेज हवा चलने लगी जिसकी वजह से हुमायूं को बहुत ठंड लगने लगी तो हुमायु छत की सीढ़ियों से उतरने लगे. फिर मस्जिद में अज़ान होने लगी. अज़ान देने वाले मोअज़्ज़न ने अज़ान के अभी पहले तीन शब्द ‘अल्लाह हु अकबर’ ही बोला था, कि हुमायूं सजदे में जाने के लिए झुके. तभी हुमायूं का पैर उनकी लम्बी पोस्तीन में फंस गया और फिर हुमायूं फिसलते हुए सीढ़ियों से गिर गए. उनके सिर में बहुत चोट आयी थी. और लेफ्ट कान से लगातार खून बहने लगा था. उसके बाद उनकी आंख नहीं खुली और हमेशा के लिए बंद हो गई.
एक दिन में तीन बार अफीम लेने के बाद कैसे दिल्ली पर 10 साल किया राज
हुमायूं को गद्दी संभालने के बाद से ही कड़ा चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. जैसे बिहार में उन्हें शेर खां का सामना करना पड़ा था, तो गुजरात में बहादुर शाह से युद्ध लड़ना पड़ा था. एक बार तो ऐसा हुआ था की उनको दिल्ली की गद्दी छोड़ सर पर पैर रख के भागना पड़ा था. उसके मुगल साम्राज्य का सफाया हो गया था. लेकिन फिर भी हुमायूं ने हार नहीं मानी थी. हुमायूं न्र अपनी गद्दी दोबारा जीती. हुमायूं ने पुरे 10 साल दिल्ली पर राज किया था।
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