अंतरिक्ष में अगर आज इंसान जा रहा है तो इसका बहुत श्रेय लाइका नाम की एक डॉगी को जाता है।

उसने हमारे लिए कुर्बानी दी, तब जाकर हमारा अंतरिक्ष में जाना संभव हो पाया।

3 नवंबर, 1947 को लाइका नाम की डॉगी को स्पूतनिक-2 स्पेसक्राफ्ट में डालकर अंतरिक्ष भेजा गया था।

इस मिशन का एक मकसद यह जानना था कि अंतरिक्ष में किसी इंसान को भेजना कितना सुरक्षित है और वहां की स्थिति कैसी है 

वैज्ञानिकों को पता था कि लाइका का धरती पर जिंदा वापस लौटना संभव नहीं है वो इसलिए क्युकी उस वक़्त Scientists को अंतरिक्ष में जाने का पता था आने का नहीं

लाइका को अंतरिक्ष मिशन पर जाने से पहले पूरा प्यार दिया गया। उसे अपने घर पर लाया गया ताकि वह अपने बच्चों के साथ खेल सके

लॉन्चिंग के समय लाइका बहुत डरी हुई थी। उसके दिल की धड़कन और सांसें सामान्य से तीन से चार गुना ज्यादा तेज चलने लगीं

स्पेसक्राफ्ट का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाने के कारण लाइका की मौत हो गई थी 

लाइका की अंतरिक्ष यात्रा के बाद वैज्ञानिकों की समझ में आ गया कि पूरी तैयारी के साथ अगर भेजा जाए तो फिर अंतरिक्ष में जिंदा रहना भी मुश्किल नहीं है।

बाद मैं 11 अप्रैल 2008 को, रूसी अधिकारियों ने लाइका के लिए एक स्मारक का अनावरण किया।