जब मुगलों का पतन हो रहा था और गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज अपनी हुकूमत जमाने की कोशिश कर रहे थे

तब एक ऐसी महिला सामने आई, जो तवायफ थी जो अपने दौर की सबसे ताकतवर महिला बन गई

फरजाना बेहद खूबसूरत थीं. उनमें जाबांजी कूट-कूट कर भरी थी. 

फरहाना जब एक कोठे में बड़ी हो रही थीं, तब अंग्रेजों का भारत के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण हो चुका था  

तब मुगल शासकों ने यूरोप से भाड़े पर मारकाट करने वाले लड़ाके बुलाए.एक  सैनिक वॉल्टर रेनहार्ड भी था. उसे ‘पटना का कसाई’ भी कहा जाता है

जिस दिन रेनहार्ड की नजर खबूसरत फरजाना पर पड़ी तो वो हमेशा के लिए उसी का हो गया. 

वो फरजाना को अपने साथ मेरठ ले आया और यहीं फरजाना को नया उपनाम मिला समरू. रेनहार्ट शादीशुदा था

रेनहार्ट की मौत के बाद फरजाना ने राज संभाला. वो बेगम समरू बनी उनके पास 3000 से ज्‍यादा सिपाहियों, यूरोपियन अफसरों और बंदूकधारियों की सेना थी

मुगल जब हमले का शिकार होते, तो मदद बेगम समरू से मांगते थे बेगम समरू का दिमाग बड़ा तेज था उसे

 उसे पता था हिंदुस्तान पर अंग्रेज ही राज करेंगे. इसलिए रेनहार्ट की मौत के बाद बेगम समरू ने इस्‍लाम छोड़ दिया

 समरू ने ईसाई धर्म अपनाया और सारी धन-संपत्ति, सोने की 5.5 करोड़ मुहरें अंग्रेजी ईस्‍ट इंडिया कंपनी को दे दी.

जब वो मरी तो उसका नाम जोएना था उसको सरधना के चर्च में ही दफनाया गया.