अकबर के दौर में खेमे क्यों होते थे क्यों होती थी उसमे उसकी हवस का शिकार औरते

मुग़लों के ज़माने एक से बढ़के एक कारनामो को अंजाम दिया गया 

लेकिन जितने कारनामे औरतों के लिए मुग़ल दौर में हुए है इतने किसी दौर में नहीं

लेकिन जितने कारनामे औरतों के लिए मुग़ल दौर में हुए है इतने किसी दौर में नहीं

इसलिए उसे हर वक़्त देश की आज़ादी से ज्यादा से नई नई औरतों का मज़ा चखने की फ़िक्र रहती थी 

इसलिए उसने एक प्रथा रखी हुई थी हर साल मीणा बाजार में ओरते अपने खीमें (दुकाने) लगाती थी

जिसमे हर खूबसूरत औरत और खुद जलाल की बीवियां सामान बेचती थी लेकिन ये सामान केवल बादशाह अकबर ही खरीदता था

लेकिन खीमें में रुक्किया बेगम इतनी शातिर थी की किसी का नंबर नहीं आने देती थी 

और हर बार ऐसी ऐसी चीज़े लाती  जिसे बादशाह लेने के लिए मजबूर हो जाते थे और वो मुँह मांगी रकम बादशाह से मांगती थी 

रुकिया बेगम वो शातिर शतरंज थी जिसने अकबर को अपने इशारो पर  नचाया हुआ था बाद में इसका घमंड जोधा अकबर ने तोडा था